Happy Shivratri (7-3-2016) - Beyond the limits of thinking

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Saturday, 5 March 2016

Happy Shivratri (7-3-2016)




एक बार राजा बलि ने बहुत बिशाल यज्ञ किया था ! मन की सोच से भी ज्यादा राजा बलि ने सोना चाँदी अनेको बस्तुएँ दान में दिए ! राजा बलि की दान में अटूट रूचि थी या कोई स्वार्थ इसकी जानकारी की लिए भगवान श्री हरी ने वामन अवतार धारण किया राजा बलि की परीक्षा हेतु भगवान यज्ञ शाला में पहुंचे ! अनेको ऋषि देवता और दैत्य मनुष्य वहाँ उपस्थित थे ! वामन भगवान ने !! भिक्षाम देहि !! शब्द उच्चारण किया ! राजा के सेवकों ने मन भाबुक बस्तु पूछी तो वामन भगवान जी ने राजा की सेवको से कहा की वो केवल राजा से ही दान का संकल्प लेंगे ! राजा बलि स्वयं आये ! तो वामन भगवान जी ने ढाई पग धरती मांगी ! राजा बलि भगवान श्री हरी को नही पहचान पाये लेकिन बहा उपस्थित दैत्यराज शुक्राचार्य उन्हें पहचान गए ! जब राजा बलि दान का संकल्प ले रहे थे शुक्राचार्य ने अनेको प्रयत्नो से उन्हें रोकना चाहा लेकिन असफल रहे ! निर्विघ्न संकल्प पूरा हुया अब वास्तविक देखना बाकि था भगवान जी ने अपना विराट स्वरुप धारण किया दो पग में ही धरती आकाश माप दिया बाकि कुछ रहा ही नही यह देख कर सारी सभा चकित हो उठी ! अब आधा पग भगवान जी कहा धरेंगे ! राजा बलि भाबुक हो उठे और भगवान जी की आगे नतमस्तक होकर कहने लगे !! हे प्रभु आप की माया का किसी ने आज तक पर नही पाया मैं आपकी माया का अंश मात्र कैसे आपको जानता ! आप अपने आधे चरण को मेरे सर पर स्थापित करे ताकि मैं अपने संकल्प को पूरा कर सकूँ ! भगवन जी का चरण राजा बलि को पाताल मे ले गया ! अपने भक्त्त को बचनों मे उतरते देख भगवान प्रेम मे बंद गए !
भगवान श्री हरी चतुरभुज रूप मे राजा बलि आगे प्रकट हुए और बरदान मे उन्हें पाताल का राजा बनाया !
राजा बलि ने भगवान जी से कहा हे मदुसूधन पाताल के दस दरवाजे हैं ! मुझे हर दरवाजे से आप के ही दर्शन हो
भगवान जी कहा तथास्तु ( ऐसा ही हो ) बहुत समय केवल श्री हरी ही ये कार्य करते रहे फिर सर्वात्तर देवताओं के प्रस्ताव से तीन देवताओं की (ब्रह्मा , विष्णु , शिव जी ) चार - चार  महीने की ड्यूटी लगी ! इसी लिए त्रिदेवों को एक ही माना जाता हैं ! शिवरात्त्री को कुछ विद्वान शिव विवाह मानते हैं !
मेरी मत अनुसार शिवरात्रि  बर्ष मे दो वार आती हैं ! यह वही समय होता जब भगवान शिव जी अपने भक्त्त के बचनों को सकारात्मक रूप देते हैं !

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